"वीर सपूत"

सरहद पर पोस्टिंग मिलने पर एक वीर पुत्र अपने मां को समझाते हुए...

"वीर सपूत"
मां तुमने मुझको निज ममता से,
सींच–सींच कर बड़ा किया।
मातृभूमि है बढ़कर मां से,
यह शिक्षा और संस्कार दिया।

मां अबतक मैं तेरा पुत्र था,
अब भारत मां मुझे बुला रही।
फैलाए आंचल द्वार खड़ी वह,
मेरी ममता तुझसे मांग रही।

मत करना नाराज उन्हें मां,
भर दो झोली खुशी–खुशी।
देकर वचन यह पुत्र आपका,
सौंप दो उनको खुशी–खुशी।

देश भक्ति है रग–रग में मेरी,
प्रेम हृदय में सागर सा।
आए आंच जो कभी देश पर,
कर दूं जान न्योछावर मां।

हुआ शहीद जो शरहद पर मैं,
मां आंसू मत बहने देना।
वीर पुत्र की जननी हो तुम,
यह गौरव मत खोने देना।

सबको नहीं नसीब यहां,
"शहादत" का अनमोल उपहार।
मिलता उसे जो वीर सपूत,
मां भारती को करता जां से प्यार।

                    ..जितेंद्र कुमार

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