"राजनीति
है आजाद अब हिंदुस्तान,
फिर कैसा यह दहशत है।
मचा रहा यह कौन तबाही,
जब सुरक्षित मेरा सरहद है।
भय व्याप्त है हर दिलों में,
कहां कब होगा नरसंहार।
जालियांवाला कांड करने,
क्या फिर आई ब्रिटिश सरकार ?
रोग दिया हमें जात-पात का,
खुद कर रहा मनमौजी है।
फूट डालकर शासन कर रहा,
क्या फिर आया डलहौजी है ?
खोल कर देखें हम आंख से पट्टी,
क्या किसी के हाथ है हथियार ?
या उगल रहा कोई जहर जुबान से,
या जुबान ही उसकी नंगी तलवार।
करें विरोध हम उसको मिलकर,
जो आकर हमें भड़काते हैं।
दे जाते हैं दर्द दिलों में,
आपस में हमें लड़ाते हैं।
..जितेंद्र कुमार
3 Comments
Nyc👍🏻
ReplyDeleteUltimate utilize of energy
ReplyDeleteवास्तव में यह सफलता का रास्ता है। वास्तव में सफलता तब नहीं है जब आप कुछ पाने लगते हैं। सफलता तब है जब आप अपने अनुसार जीने लगते हैं।
All the best dear
Wow interesting
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