"गौरव गान"


"गौरव गान"

"गौरव गान"

उनको मेरा शत - शत वंदन,
और करूं शत बार नमन।
जो निज़ लहू से इस मिट्टी को, 
सींच बनाए सुंदर चमन।

मिली आजादी जिस दिन हमको, 
यह पावन पर्व मनाते हैं। 
करके याद हम उन वीरों को, 
गौरव गान हम गाते हैं।

मंगल पांडे की हिम्मत मत पूछो, 
अंग्रेजों को ललकारा था। 
आया सामने जो भी वह, 
बेमौत स्वर्ग सिधारा था।

गांधी, गोखले, सरदार, तिलक सब 
जीवन का हर क्षण दान किए।
होता क्या आराम न मालूम, 
जीवन का सुख सब त्याग दिए।

राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह,
अंग्रेजों को धूल चटाये थे। 
मिले मुक्ति मां भारती को वे, 
प्राणों की भेंट चढ़ाए थे।

लक्ष्मीबाई और वीर कुंवर सिंह, 
इनकी  तलवारें प्यासी थी। 
पीकर लहू फिरंगी का वह,
अपनी प्यास बुझाती थी।

राणा, शिवा को हम ना भूले, 
वे भी शेर बहादुर थे। 
धर्म -संस्कृति की रक्षा खातिर, 
मर मिटने को आतुर थे।

                   ..जितेंद्र कुमार 

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