"मेरा बचपन"


"मेरा बचपन"

"मेरा बचपन"

मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं,
रोचक और निराला था।
हुआ अफ़सोस बचपन जाने का ,
जब मैंने होश संभाला था।

लिया था जन्म उस घर में मैंने,
जहां एक सुपुत्र जरूरी था।
दादा - दादी, बुआ और अम्मा,
सबके आंखों का तारा था।
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं,
रोचक और निराला था।

दुबले - पतले थे बचपन में,
अस्वस्थ हमेशा रहता था।
साधु - पंडित की झार - फूंक और,
पहना जंतर - माला था।
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं,
रोचक और निराला था।

संयुक्त परिवार का नन्हा मुन्ना, 
प्यार मुझे तो मिलता था। 
पर मिला नहीं जो जरूरी मुझको, 
दूध भरा जो प्याला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

बैठ गोद मे दादा जी की, 
उनसे मैंने बोला था।
आइएगा मिलने मरने के बाद घर, 
मैं कितना भोला -भाला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

पढ़ाई में तो था मैं अव्वल 
पर पढ़ने से कतराता था।
रोज समय पर पढ़ने जाता, 
पर घर से निकाला जाता था।
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

उंगली पकड़े दादाजी की,
पीछे रोता जाता था। 
पेट दर्द का बहाना से भी, 
दिल न उनका पिघला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

छुट्टी के दिन मित्रों के संग में, 
छुपकर बगीचा जा पहुंचा। 
मार लबेदा झाड़ गिराया, 
वह जामुन मीठा काला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

पर विधाता को खुशी मंजूर नहीं, 
एक पत्थर सर पर आ गिरा। 
छा गया अंधेरा आंखों के सामने, 
वह दिन जबकि उजाला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

किया महसूस उसी दिन मैंने, 
क्यों पापा मुझ पर चिल्लाते थे। 
हो न जाए कुछ गलती मुझसे, 
उनकी फटकार मेरा रखवाला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।

खाने पीने में प्यार दिए, 
पर किए पिटाई पढ़ाई में। 
सही दिशा मिली जो उनसे, 
मैं भी किस्मत वाला था। 
मेरा भी बचपन कुछ कम नहीं, 
रोचक और निराला था।
 
                  ..जितेंद्र कुमार



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1 Comments

  1. Deep close to everyone's heart ..really mesmerized the day when I was child too👏👏👏

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