"प्रदूषण"
प्रदूषण पैर पसार रहा,
रूप ले रहा अति विकराल।
पर्यावरण की हर शाखा पर,
फैला रहा है अपना जाल।
इसकी चपेट में मानव ही नहीं,
समस्त जीव - समुदाय है।
त्रस्त है सारी दुनियां इससे,
विनाश इसका अभिप्राय है।
प्रकृति प्रदत्त जल और वायु,
यह वस्तु जीवन दायी है।
रखें स्वच्छ इसे हम वरना,
दुष्प्रभाव के उत्तरदायी हैं।
वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण,
है इसके ये तीन प्रकार।
कारखानों के दुर्गन्धित जल से,
दूषित होता जल का भंडार।
कार्बन करता वायु को दूषित,
है जितने भी धुआं का स्रोत।
सूखा, बाढ़ और ओलावृष्टि भी,
है कारण यह प्राकृतिक प्रकोप।
कर्णभेदक है ध्वनि जहां पर,
ध्वनि प्रदूषण निश्चित है।
हो जहां तनाव, बहरापन,
वह वातावरण प्रदूषित है।
अभी वक्त है करें विचार,
दुनिया को हाथ बढ़ाना है।
दे योगदान हर व्यक्ति इसमें,
धरती पर जीवन बचाना है।
... जितेन्द्र कुमार
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