दुखाया दिल को जिसने भी उनका, प्रभु भी उसको रुला रहे हैं।
सुर और मुनि सब धरा पे आए, मां की ममता सबने पाए।
चारो धाम चरणों में मां के, स्वर्ग भी इसको बता रहे हैं।
मिला है ये तन जिन मां–पिता से, महिमा उनकी सब गा रहें हैं।
रचे हैं सृष्टि को जो विधाता, उनके दृष्टि में पूज्य माता।
मां की गोद प्रभु राम खेलकर, मां के मान को बढ़ा गए हैं।
मिला है ये तन जिन मां–पिता से, महिमा उनकी सब गा रहें हैं।
आते जग में, जब जन्म लेकर।
जीवन देती, मां अमृत देकर।
मां की त्याग को सब हम भूलाकर, क्यों आज उनको सता रहे हैं।
मिला है ये तन जिन मां–पिता से, महिमा उनकी सब गा रहें हैं।
दुखाया दिल को जिसने भी उनका, प्रभु भी उसको रुला रहे हैं।
...जितेंद्र कुमार
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