"सरस्वती बंदना"

"सरस्वती वंदना"

हे शारदे मां सुन लो,
मेरी विनती, वीणापाणि।
कर दो दया की बारिश,
बनें मूढ़ भी ज्ञानी।

कमल आसन बैठ कहां मां,
बजा रही हो वीणा।
भर दो मुझमें, इतनी शक्ति,
सफल हो जीवन जीना।

हंसवाहिनी, पुस्तक धारिणी,
जग को मार्ग दिखाती।
तेरी कृपा से मूक भी बोले,
अन्धन भी पाए ज्योति। 

जो भी तेरे शरण में आए,
शक्ति अलौकिक पाए।
मधुर–मधुर धुन वीणा का सुन,
जन–जन को ज्योति दिखाए।

हे भारती, मां सरस्वती,
मुझे भी ऐसा वर दो।
मिट जाए मां मन का अंधेरा,
मुझ पर दया तू कर दो।

      ..जितेंद्र कुमार




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