"देश का तंत्र"

कृपया पढ़कर आनंद लें।मन को स्वच्छ रखें। हम सभी मिलकर रहें, पर राष्ट्र के प्रति अपनी – अपनी जिम्मेदारियां जरूर निभाएं। जय हिंद।

"देश का तंत्र"

आज अंबेडकर काश जो होते,
देश की हालत देख कर रोते।

फिर वे जाकर जनता से पूछते,
सुनकर जवाब अपने को कोसते।

स्कूल, कॉलेज,  हॉस्पिटल सरकारी,
हर जगह नियुक्त अयोग्य कर्मचारी।

होनहार, अंक की कोई पूछ नहीं,
निराश लौटते, पास जिनके कुछ नहीं।

अंक को सबसे पीछे रखते,
सबसे पहले जाति हैं देखते।

जिसके पास बने सभी प्रमाण,
पहले नंबर में उसका नाम।

देश का हर तंत्र विकलांग हो गया,
तभी देश का यह हाल हो गया।

सुन अंबेडकर, सुनाए अपनी राय,
यह तो देश के साथ है अन्याय।

    .... जितेन्द्र कुमार

Post a Comment

0 Comments