"नव रात्र की शुभ बेला"

"नवरात्र की शुभ बेला"

नव रात्र की शुभ बेला पर,
जन मानस उत्साहित है।
मां अम्बे की दर्शन पाने,
मन सबका लालायित है।

सच्चे मन से जो भी बुलाए,
मां सबको दर्शन देती है।
भक्त पुकारे दुःख में कोई,
कष्ट सभी हर लेती है।

इस दिन जो कुछ मांगो मां से,
दिल से खुशियां लुटाती है।
राजा हो या रंक सभी को,
अपने दर पे बुलाती है।

दशों दिशायें गूंज रही है,
मां अम्बे की जयकारी से।
मंद - मंद मुस्कुरा रही मैया,
बैठी शेर सवारी पे।

नौ रूप हैं मां दुर्गा की,
सब में है शक्ति अपार।
जब -जब बढ़ी आतंक दुष्ट की,
उसे मां ने किया संहार।

              ...जितेंद्र कुमार

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