"गुरु" (शिक्षक)

"गुरु" (शिक्षक)

जन्म लिए इस जग में जो भी,
नर हों या नारायण।
जब पड़ी जरूरत ज्ञान उन्हें,
गए गुरु के शरण।

जीवन को करते आलोकित,
गुरु करके ज्ञान प्रदान।
हर युगों में गुरु आपका,
मिला उत्तम स्थान।

गुरु ज्ञान की खान हैं,
सेवा कर पाओ ज्ञान।
ज्ञानवान पूज्यनीय सदा,
बिन ज्ञान पशु समान।

प्रभु तुल्य गुरु की नजर,
रखते वे समता का भाव।
निज बालक सम शिष्य को,
देते ज्ञान, रख मन में सदभाव।

गुरु वाणी को आदर्श मानकर,
जो मनुज पथ अपनाते हैं।
मिलता उन्हें सम्मान  आजीवन,
परमानंद सुख  पाते हैं।

गुरु धन्य जिसने मुझको,
मार्गदर्शन हर वार किए।
उत्तम चरित्र, उच्च विचार भर,
मेरा जीवन संवार दिए।

गोविन्द से पहले गुरु को,
जग सारा शीश नवाते हैं।
जग पालक प्रभु आप हैं,
यह ज्ञान गुरु से पाते हैं।

         जितेंद्र कुमार




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