सावन माह पूर्णिमा दिन पावन,
रक्षाबंधन पर्व मनाते हैं।
पवित्र रिश्तों का प्यारा पर्व यह,
ईश्वर भी देख ललचाते हैं।
इस दिन बहना खुशी - खुशी,
एक सुंदर थाल सजाती है।
अच्छत, चंदन, रोली से वह,
भाई को तिलक लगाती है।
घी के दीप जलाकर बहना,
भाई को आरती उतारती है।
करके याद बचपन की यादें,
दोनों की आंखें छलकती है।
बांध रेशम की डोर कलाई,
बहना देती दुआएं।
रहे सलामत भैया का जीवन,
दुख मेरी झोली आए।
गंगा जैसी निर्मल प्रेम से,
भाई को खिलाती मिठाई।
मिले आजीवन मीठी वाणी,
मांगती बहना प्यारी।
रक्षा की भी वचन मांगती,
कहती यह वचन निभाना।
तुझमें हो छवि राम - कृष्ण की,
बहना की लाज बचाना।
देकर वचन भाई कहता,
मुझको भी है रब से कहना।
तेरी जैसी हर जनम में,
मिलती रहे मुझे बहना।
करो स्वीकार खुशी से बहना,
एक छोटा उपहार मेरा।
सदा दुआयें देती रहना,
खुशहाल रहे संसार मेरा।
जितेंद्र कुमार
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