"बीवी का बेलन"

"बीवी का बेलन"
"बीवी का बेलन"

बीवी रोज कहे बात, एक दिन भी नै नागा।
पहले हम खा हली नौ रोटी, अब खा ही आधा।

गुस्सा जब दिखावे हे, त कोय न देहे साथ।
हमरा भाग जाय पड़े हे, जब उठ जा हे हाथ।
उ रात हम घर ना आबही, खा ही जाके ढावा।
बीवी रोज कहे बात, एक दिन भी नै नागा।

उठा पटक बोले हे, मुंह में तनिको नै हे लगाम।
खाना- पीना और लड़ाई, बस ये हे दोइ गो काम।
तलाक हम दे देती हल, पर लईकवन हे बाधा।
बीवी रोज कहे बात, एक दिन भी नै नागा।

उब सा लगे हे, हम बहुत ही परेशान।
केकरा - केकरा के देखाई, ई बेलन के निशान।
दरद से जान जाई, कौन खाई दावा।
बीवी रोज कहे बात, एक दिन भी नै नागा।

हाथ देख के बतावअ, आज का होई।
कौन हथियार से होत, आज मोर पिटाई।
कब पिए के आदत जाई, बतावअ तनी बाबा।
बीवी रोज कहे बात, एक दिन भी नै नागा।
पहले हम खा हली नौ रोटी, अब खा ही आधा।

                 ..जितेंद्र कुमार




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