हो जाए हर कष्ट दूर,
जब दिल से करो मां का ध्यान।
हो पूरा हर मनोकामना,
जब करो कर जोड़ प्रणाम।
हो दर्शन जो मां का नित्य दिन,
उत्पन्न होते उच्च विचार।
करो नमन जो सर झुका,
हर लेती मां मन का विकार।
आए जो भी इनके दर पे,
मां सबको देती आशीर्वाद।
हर कोई खुश होकर जाता,
कोई न लौटता खाली हाथ।
दुखिया का दुख हर लेती,
प्रसन्नचित्त वह जाता घर।
बाल न वांका कर सके न कोई,
जिसपर पड़े मां की नजर।
जो भी घर में मां की मूर्ति,
स्थापित कर पूजन करे।
सुख - शांति, धन उस घर बरसे,
काल, कष्ट मां क्षण में हरे।
मां खुश रहती उसपर सदा,
जिसके सुंदर कर्म है।
मां - पिता की सेवा को जिसने,
समझा यह निज धर्म है।
.. जितेंद्र कुमार
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