" नव वर्ष "
नव वर्ष की नव किरण से,
सबों का उन्नत पथ प्रशस्त हो।
जिन होठों पर मुस्कान नहीं,
उन पर हंसी अनवरत हो।
यह नव वर्ष ऐसा हो।।
त्याग कर भ्रम जात - पात का,
सभी गले से गले लगे।
जिन हाथों में हथियार है,
उसमें फूलों का हार हो।
यह नव वर्ष ऐसा हो।।
कहीं नहीं हो नर - संहार,
नहीं कहीं हो अत्याचार।
कहीं नहीं लूट - पाट हो,
न तो कहीं भी दंगा हो।
यह नव वर्ष ऐसा हो।।
जिन आंखों में खून भरा हो,
उसमें ममता का पानी हो।
जो हृदय पत्थर बन गया,
उसमें भी असीम प्यार हो।
यह नव वर्ष ऐसा हो।।
कष्ट मुक्त हो सब का जीवन,
खुशियां उन्हें अनंत हो।
भय मुक्त हो देश हमारा,
"करोना" का भी अंत हो।
यह नव वर्ष ऐसा हो।।
..जितेंद्र कुमार
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