"मेरे वतन का पैग़ाम"
भारत ललकारा नहीं, पुकारा है।
आओ मिलकर करें बात।
बीच क्यों तकरार?
हमारा और तुम्हारा है।
हलचल क्यों बढ़ी है सीमा पार,
किसने सैन्य सजाया है।
भूल गया वह शायद यह की,
मैंने भी शस्त्र बनाया है।
भारत की भावुकता को,
कायरता न समझो तुम।
जीतकर धरती वापस लौटाया।
इतिहास उठा कर देखो तुम।
भारत की यह नीति सदा,
पहले न हाथ उठाया है।
भूल से भी जो, आंख दिखाये,
उससे भी, दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
युद्ध की तो बात दूर है,
शीत युद्ध भी बंद करें।
आपस में सहयोग बढ़ाकर,
विकासोन्मुख जंग लड़ें।
युद्ध किसी का निष्कर्ष नहीं,
विनाश इसका परिणाम है।
विश्व युद्ध अब न हो आगे,
मेरे वतन का यह पैगाम है।
.जितेंद्र कुमार
1 Comments
Nyz 👌👌
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