"मां की याद"

"माँ की याद"

"मां की याद"

आती याद जब मां की मझको,
आँख मेरी भर आती है।

जिस दिन मैं, इस धरती पर आया,
दिन वह, मां का प्यारा था।
मैं जब रोता, मां अंक में भरकर,
हर क्षण, मंद- मंद मुस्काती थी।
मिला हो जैसे कुबेर खजाना,
कलेजे से लगाती थी।
पास बैठ मां आज भी मुझको,
यह कहकर मुझे सुनाती है।

आती याद जब मां की मझको,
आँख मेरी भर आती है।

बीत गए जब, दिन पर दिन कुछ,
तब मां की आवाज पहचाना था।
रोता था सुन मां की बोली,
वह दौड़ गोद भर लेती थी।
पोंछ अपनी आंचल से आंसू ,
खुद, खून की आंसू रोती थी।
पास बैठ मां आज भी मुझको,
प्यार से यह बताती है।

आती याद जब मां की मझको,
आँख मेरी भर आती है।

जब घुटनों के बल चलना सीखा,
माँ का काम बिगाड़ा था।
रहती परेशान मां मुझसे फिर भी,
मैं उनकी आंखों का तारा था।
उंगली का सहारा देकर,
चलना मुझे सिखाती थी।
पास बैठ मां आज भी मुझको,
बचपन का सैर कराती है।

आती याद जब मां की मझको,
आँख मेरी भर आती है।

                   ..जितेंद्र कुमार



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1 Comments

  1. दिल को छू जाने वाली कविता है यह

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