है अनेक मेरे देश में भाषा,
पर हिंदी उसमें सर्वश्रेष्ठ।
अपनी मधुर शब्दों से,
जोड़ती देश को सूत्र में एक।
है मधुर यह, सरल, सरस भी,
मीठी इसकी हर शब्दों का बोल।
संस्कृत सुता जब इतनी प्यारी,
फिर क्यों करते लोग विरोध।
करें सम्मान हिंदी का हम सब,
यह गूंजे देश का कोना–कोना।
करें उपयोग इसे हर कार्य में,
सुगम होगा फिर आना जाना।
करें ब्यक्त राष्ट्रीय भाषा में,
हम अपने भाव विचारों को।
एक भाषा और एक बने हम,
मनायें मिल त्योहारों को।
राष्ट्रीय(मातृ) भाषा सबको अपनी,
होती जान से प्यारी।
कर्णप्रिय लगती है उसको,
ये जानती जगत सारी।
....जितेंद्र कुमार
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