सुंदर कर्म

"सुंदर कर्म"
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बांट रहें जो प्रेम से खुशियां, जन–जन में खुशी उमंग होगा।
कर्म हो जिनके इतने सुंदर, वो कितना सुंदर होगा।

माता–पिता हैं ईश्वर जग में, 
ये संतों की वाणी है।
स्वर्ग बसा चरणों में इनके, 
इस बात को दुनियां मानी है।
कर लो पूजा मन से उनकी, जीवन में मंगल होगा।
कर्म हो जिनके इतने सुंदर, वो कितना सुंदर होगा।

स्वार्थ में छूटे जिनके रिश्ते, 
वो सबकुछ खो जाते हैं।
जो प्रेम से जोड़े नाते, 
वो सबकुछ पा जाते हैं।
जो पीर पराई प्यार से हरते, उनका ही वंदन होगा।
कर्म हो जिनके इतने सुंदर, वो कितना सुंदर होगा।

करते जो आदर संत, गुरु की, 
जीवन में खुशियां पाते हैं।
बड़े कठिन है जीवन की राहें, 
ये राह सही दिखलाते हैं।
चले सतत जो सन्मार्ग पे, उसको कभी न गम होगा।
कर्म हो जिनके इतने सुंदर, वो कितना सुंदर होगा।

       ...जितेंद्र कुमार


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